रविवार, 19 जून 2011

अन्ना हजारे जी की मांग क्या ज्यादे है?

अन्ना हजारे जी का कहना कि प्रधान मंत्री को लोकपाल बिल के अंतर्गत लाना चाहिए बिलकुल ठीक है | देखा जाय तो उनकी यह मांग आम जनता और श्री रामदेव जी की मांगों के सामने कुछ भी नहीं है | अन्ना गलत क्या मांग रहे है | प्रधान मंत्री भी एक इंसान हैं, एक राजनेता है | आज के परिपेक्ष में देखें तो तत्कालीन प्रधानमन्त्री  भ्रष्ट लोगों को चुप रहकर समर्थन दे रहे है, बचा रहे हैं | इससे साफ़ जाहिर होता है की वे आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए है | अन्यथा उनको किस का डर|

फिर यहाँ बात एक प्रधान मंत्री की नहीं है | भविष्य में आने वाले प्रधान मंत्रियों की भी है | यह एक कड़वा सच है कि आज के समय में राजनीति एक धंधा है जिसमे लोग पैसा और समय खर्च कर रहे हैं ताकि मंत्री, सांसद या विधायक बन कर ढेर सारा पैसा कम समय में बना सकें | इसलिए किसी को भी लोकपाल बिल के दायरे से बाहर रखना खतरनाक है देश के लिए | किसी को भी इस लिए छोड़ देना कि वह जब-तक सत्ता में है सजा का हकदार नहीं है गलत होगा, देश के हितों के साथ अन्याय होगा | ऐसे तो हर कोई किसी न किसी बहाने रियायत मांगेगा |

कितने दुःख की बात है की उत्तर भारत के सांसद और मंत्री संसद में हिंदी जानने से इनकार करते हैं | बाबा रामदेव जी का हिंदी में लिखा हुआ उनको पढ़ने में नहीं आता है | यह तो राष्ट्रभाषा हिंदी का अपमान है | आज कौन ऐसा राज्य है जिसमे हिंदी की शिक्षा नहीं दी जाती है ? किसी न किसी स्तर पर हिंदी अवश्य पढाई जाती है | फिर हमारे राजनेता हिंदी नहीं जानने का नाटक क्यों करते हैं ? ऐसे लोगों को सांसद बने रहने का कोई अधिकार नहीं है जो राष्ट्रभाषा न जानते हों |

भा.ज. पा. या आर. एस. एस. अगर रामदेव जी या हजारे जी का समर्थन करती हैं तो इसमें क्या गलत है? क्या आजाद हिंदुस्तान में राजनीतिक पार्टियां खुल कर सही बात का समर्थन नहीं कर सकती ? क्या उनका भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलना और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वालों का साथ देना गलत है ? भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और हर किसी को बोलने का अधिकार है | जब कसाब और अजमल जैसे देशद्रोहियों को पालने का जिम्मा सरकार ने ले रखा है तो क्या आम जनता के लोग और सरकार की विरोधी पार्टियां चुपचाप देखती रहें | सरकार दमनकारी नीति अपनाये, लोगों को आधी रात में मारे, शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर रोक लगाये तो क्या सब लोग चुप रहे| उफ़ तक न कहें| ऐसे तो हम फिर से गुलाम हो जायेंगे | हो जायेंगे कहना भी गलत है - हो गये है कहना सही है | कांग्रेस-यूपीए शासित सरकार की गुलामी से देश शीघ्र ही नहीं निकला तो वह दिन दूर नहीं दिखता जब एक बार फिर विदेशी ताकतें पूरी तरह से देश पर हावी हो जाएँगी |

जो मीडिया और मीडिया के लोग आज विदेशी पैसे के बल पर सरकार के साथ खडे हैं  उन्हें भी यह बात समझ लेनी चाहिए कि देशहित को सर्वोपरि रखना ही उनके हित में है | स्वतंत्रता पूर्व ब्रिटिशरों का साथ देने वालों देश के गद्दारों का जो हाल हुआ वही हाल उनका और उन सभी का होगा जो भारत माँ के साथ धोखा और गद्दारी करेंगे | भ्रष्टाचार का अंत निकट है अतः श्री हजारे और उनके साथियों पर अनर्गल आरोप लगाने से भ्रष्टाचारी और उनके समर्थक बाज आयें अन्यथा देश की जनता देर-सबेर न्याय करेगी ही |
कृपया देश के बारे में सोचें, अपने कर्म अच्छे करें |

जय हिंद !

रविवार, 5 जून 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग - अन्ना हजारे, बाबा रामदेव और राजनीति

अन्ना जी अगर महात्मा गाँधी के प्रतिरूप हैं तो बाबा रामदेव जी सुभाष चंद्र बोस के | बाबा रामदेव ने अन्ना हजारे जी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग के काम को आगे बढ़ाया है हाईजैक नहीं किया है | कार्यप्रणाली में अंतर तो होना ही है |  अन्ना जी के जंतर मंतर पर हुए सत्याग्रह में थोड़े लोग ही पहुँच पाए थे की सरकार घबरा गयी और वादे कर के सत्याग्रह को स्थगित करा दिया | दिल्ली के प्रसिद्ध रामलीला मैदान में बाबा रामदेव ने योग शिविर शुरू कर भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह करने का कदम उठाकर ने क्या गलत काम किया है? बाबा रामदेव जी कितने दिनों से कह रहे थे कि उनका सत्याग्रह लंबा चलेगा और बड़ी तादात में लोग भाग लेंगे | उन्होंने देश वासियों तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के लिए अथक प्रयास भी किया और योग के जरिये सत्याग्रह का शुभारम्भ भी किया | इंतजाम करने में छोटी-मोटी कानून सम्बन्धी बातों की अनदेखी होना लाजिमी था | जो देश और देशवासियों के हित में है वह काम गलत नहीं है |

सरकार के आंख कान नहीं हैं क्या जो इतना नहीं समझ पाई की जनता पहले की अपेक्षा ज्यादा तादात में सत्याग्रह में भाग लेगी और मिडिया भी तो बता रहा था कि लाखों लोग भाग लेंगे |  सत्याग्रह को बलपूर्वक तोड कर सरकार ने जता दिया की वह भ्रष्टाचार के खिलाफ उठते आन्दोलन के विरुद्धहै | यू.पी.ए. की सरकार के लोगों का काला धन खतरे में है इसलिए बाबा रामदेव के सत्याग्रह को उन्होंने रात को छिन्न-भिन्न कर दिया | सरकार के इस घिनौने  कार्य की जीतनी भर्तस्ना की जाय वह कम है |

हर वह पार्टी जो देश हित में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रही है उसका स्वागत होना चाहिए | हर उस भारतीय का जो देश द्रोहियों को दंड देने की बात करता है उसका स्वागत होना चाहिए | भारतीय जनता पार्टी देश की एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसने देश हित में अधिकतर कार्य किये हैं | वह बाबा रामदेव के साथ आती है तो गलत क्या है ? ५ वर्षों के शासन में उसने वह कार्य करके दिखाया जो कांग्रेस स्वतंत्रता के बाद वर्षों के राज में नहीं की | आज जो विकास के कार्य हो रहें हैं उनकी शुरुआत भाजपा ने ही किया | अपना देश कांग्रेस के राज में IMF और दूसरों से भीख मांगता था | भाजपा ने यह बंद कराया और देश को स्वाबलंबी बनाने के पथ पर ले चली | दुर्भाग्य यह रहा की कांग्रेस ने पैसे (जो उसके नेताओं के स्विस खातों में थे और काफी कुछ विदेशो से आये) के बल पर भाजपा को मिडिया (जिसमे विदेशी कंपनियों का पैसा है) के जरिये बदनाम किया और जनता को गुमराह करके सत्ता हथिया ली और फिर पिछले चुनाव के दौरान भी इसी तरह से चुनाव जीता | कांग्रेस के आते ही भीख मांगने की परंपरा फिर चालू हो गयी और देश की संपत्तियों को विदेशी कंपनियों के हाथों में दे कर नेताओं ने पैसे बनाना फिर शुरू कर दिया है | भाजपा के राज में जो भ्रष्टाचार निर्मूल हो रहा था कांग्रेस के राज में फिर से तूल पकड़ने लगा और अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया है क्योंकि अगले चुनाव में फिर वोट खरीदने के लिए कांग्रेस के नेताओं को पैसे चाहिए और अपनी पैसे की हवस भी पूरी करनी है इस लिए बड़े बड़े घोटाले हो रहे है | चोरों की सरकार है |

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक ऐसा संगठन है जो देश हित का कार्य करता है पर वह काँग्रेस की आँखों का किरकिरी है क्योंकि उसके कार्यों से काँग्रेस का वोट-बैंक घटता है | यह संगठन भाजपा के साथ है इसलिए काँग्रेस उसे निर्मूल करने के लिए हर प्रयास करती है भले ही उस प्रयास से देश की बदनामी हो | काँग्रेस इस संगठन से इतना घबराती है की उसे आतंकवादी संगठन घोषित करने में जुट गयी है | काँग्रेस का यह कदम देश के इज्जत की धज्जियाँ उड़ा रहा है | कल को बाबा रामदेव को काँग्रेस आतंकवादी घोषित कर दे क्योंकि आर.एस.एस. बाबा का साथ दे रही है तो इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए |

देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ बढ़ते आन्दोलन से कांग्रेस घबरा गयी है और उसे अपनी सत्ता और पैसा दोनों खतरे में दिखाई दे रहे हैं| इसलिए अब उसकी यूपीए सरकार अंग्रेजों की तरह दमनकारी रुख अपना रही है |  हम भारतीयों को भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी और कठिन लड़ाई के लिए तैयार हो जाना चाहिए | भ्रष्ट राजनेता अपनी स्विस बैंकों में जमा दौलत को आसानी से नहीं लाने देंगे और अपने को बचाने का हर संभव प्रयास करेंगे | वे नेता जो भ्रष्टाचार का पाठ पढने के लिए राजनीति में अभी-अभी कदम रखे हैं उन्हें सावधान होकर हट जाना चाहिए क्योंकि इस जंग में उनको नुकसान के सिवाय कुछ हासिल नहीं होने वाला| यह जंग तो जनता ही जीतेगी|

भारत माता की जय!

रामलीला मैदान में पुलिस कार्यवाही